केजरीवाल के इस्तीफे का दावः आगामी चुनाव में क्या होगा नफा- नुकसान, पढ़ें Special Story

केजरीवाल के इस्तीफे का दावः आगामी चुनाव में क्या होगा नफा- नुकसान, पढ़ें Special Story

नई दिल्ली: रविवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अचानक ही इस्तीफे की घोषणा कर राजनीतिक विशेषज्ञों को गुणा- भाग और भविष्यवाणी पर नए सिरे से मंथन की मशक्कत का टास्क दे दिया।केजरीवाल का यह पैंतरा चुनावी माहौल में क्या गुल खिलाएगा, यह फिलहाल स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है।लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने आप के कब्जे वाली कई विधानसभाओं में बढ़त हासिल की थी, उसमें केजरीवाल की यह युक्ति किसके खाते में नफा करेगी और किसको नुकसान पहुंचाएगी, इसकी एक झलक दिल्ली के विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा के चुनावी परिणाम में दिख सकती है।

जहां आप ने सभी 90 सीट पर प्रत्याशी उतारकर चुनावी ताल ठोंकी है। केजरीवाल के इस कदम के दूरगामी परिणाम कम से कम से दिल्ली में आप के लिए कितने सुखद साबित होंगे, यह जल्द ही पता चलेगा।वैसे जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने लगातार इस्तीफे की मांग और भाजपा की नीति पर अपने इस्तीफे की घोषणा के साथ एक ही दाव से चारों खाने चित करने की कोशिश की है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि आप के इस सियासी चाल के सामने भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनावी राह इतनी आसान नहीं होने वाली। हरियाणा में मौजूदा समय में भाजपा की सरकार है और चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत को लेकर अधिक आशावान दिख रही है।

दिल्ली में भी अगले कुछ माह में विधानसभा चुनाव होने हैं।दरअसल, दिल्ली विधानसभा 2019 के चुनाव में तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा अपनी सीटों की संख्या 3 से बढ़कर 8 तक ही पहुंच सकी थी। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा को 56.85 प्रतिशत वोट मिले थे। तब कांग्रेस व आप अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे। हालांकि लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने करीब 52 से अधिक विधानसभा वाले इलाकों में आप-कांग्रेस गठजोड़ प्रत्याशी के मुकाबले बढ़त का दावा किया था।नौबत यह थी कि आरक्षित श्रेणी के आप विधायक से लेकर मनीष सिसोदिया समेत कई दिग्गज आप नेताओं वाले इलाके में भाजपा प्रत्याशी को आशातीत सफलता मिली थी और परिणाम स्वरूप भाजपा ने एक बार फिर से दिल्ली की सभी सातों संसदीय सीटों पर जीत हासिल कर ली। लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा 54.35 प्रतिशत पर ही रही।

इस चुनाव में कांग्रेस के साथ समझौते के तहत आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर चुनाव लड़ा। उसने अपने हिस्से की चारों सीटों पर विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की। आप ने 10 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को पछाड़ने का कार्य किया। लोकसभा में कांग्रेस का मत प्रतिशत 42.36 रहा, जबकि आम आदमी पार्टी ने 43.87 प्रतिशत प्राप्त किए।आंकड़े के आधार-दक्षिणी दिल्ली में रामवीर सिंह बिधूड़ी को आप के कब्जे वाली विधानसभा अंबेडकर नगर(804), संगम विहार(1838)और तुगलकाबाद(5128)से शिकस्त मिली। लेकिन अपने इलाके बदरपुर में करीब 25 हजार से अधिक वोटों से वे जीते। इसके अलावा पालम,बिजवासन, महरौली,छत्तरपुर, देवली और कालकाजी में रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आप के वोटरों में भी जबरदस्त सेंध लगाई और दक्षिणी दिल्ली का चुनाव 1,24,333 वोट से जीते।-उत्तर पश्चिमी दिल्ली के योगेंद्र चंदोलिया सबसे अधिक वोटों से विजयी हुए।

उन्हें रोहिणी विधानसभा से उदित राज के लगभग 20 हजार वोटों के मुकाबले करीब 75 हजार से अधिक मत हासिल हुए। रोहिणी में भाजपा के विधायक विजेंद्र गुप्ता हैं, जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और संगठन की बारीकियों से भली भांति अवगत हैं। हालांकि सुल्तानपुर माजरा में हार का सामना करना पड़ा।-चांदनी चौक में सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने चांदनी चौक, मटियामहल, बल्लीमारान में आप-कांग्रेस प्रत्याशी जय प्रकाश अग्रवाल से शिकस्त हासिल की थी, जबकि अन्य सातों विधानसभा वाले इलाके आदर्श नगर, शालीमार बाग, शकूरबस्ती, त्रिनगर, वजीरपुर, मॉडल टाउन और सदर बाजार में जीत हासिल की थी। हैरत की बात यह है कि यहां सभी विधानसभा आप के कब्जे में है।

जिसमें बड़ी संख्या में झुग्गी कलस्टर और मुस्लिम बहुल क्षेत्र भी है।-उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांसद मनोज तिवारी को आप के विधायकों वाले इलाके बुराड़ी में कन्हैया कुमार से लगभग दोगुना वोट हासिल हुए। बाबरपुर में हालांकि कन्हैया को मनोज तिवारी के अपेक्षा अधिक वोट मिले। लेकिन भाजपा के विधायकों वाले इलाके रोहताश नगर में मनोज तिवारी को 88287, करावल नगर110447 और घोंडा 95348 वोट हासिल हुए। यहां से जितेंद्र महाजन, मोहन सिंह बिष्ट और अजय महावर भाजपा विधायक हैं। जबकि सीमापुरी, सीलमपुर, बाबरपुर, मुस्तफाबाद विधानसभा में आप प्रत्याशी के मुकाबले मनोज तिवारी को कम वोट हासिल हुए। लेकिन बुराड़ी, तिमारपुर आप के कब्जे वाली विधानसभा में भाजपा ने जीत हासिल की।-पूर्वी दिल्ली में हर्ष मल्होत्रा ने कोंडली विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय विधायक कुलदीप कुमार को कुल 57,985 और भाजपा उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा को 59551 मत मिले। यही स्थिति त्रिलोक पुरी विधानसभा क्षेत्र में भी उनकी रही।

त्रिलोकपुरी विधानसभा क्षेत्र में कुलदीप कुमार 55,244 और भाजपा उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा को 62,731 मत मिले हैं। यानी यहां भी आप के उम्मीदवार 7,487 मतों के पिछड़ गए। दिलचस्प बात यह है कि कुलदीप कुमार अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेता मनीष सिसोसिया के पटपडगंज विधानसभा क्षेत्र में भी 29199 मतों से भाजपा से पिछड़ गए। खासबात यह है कि यह दोनों विधानसभा क्षेत्र आरक्षित श्रेणी के हैं।उम्मीदवार की घोषणा के बाद आप के शीर्ष नेतृत्व का दावा था कि उन्होंने सामान्य वर्ग के लोकसभा क्षेत्र से एससी समुदाय के व्यक्ति को उतारा है। इसके पीछे उनका तर्क था कि पूर्वी दिल्ली में दो विधानसभा क्षेत्र आरक्षित श्रेणी के हैं। आप उम्मीदवार के कुल 5,71,156 और भाजपा उम्मीदवार को कुल 6,64,819 मत मिले हैं।आप उम्मीदवार को ओखला विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त बढ़त मिली।

कुलदीप कुमार को ओखला में 1,33,989 मत मिले हैं, जबकि भाजपा के हर्ष मल्होत्रा को 60,171 मत मिले। यानी आप ने भाजपा को ओखला में 73,818 वोट से भाजपा को शिकस्त दी। जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में भी आप उम्मीदवार (40,803) ने भाजपा उम्मीदवार (38312) से 2,491 मतों से बढ़त बनाए रखी।पटपड़गंज में आप उम्मीदवार को 49,845 मत मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 79,044 मत मिले। मल्होत्रा को यहां से 29,199 मतों से बढ़त मिली। लक्ष्मीनगर में भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिली। भाजपा उम्मीदवार ने आप उम्मीदवार 29960 मतों से पिछड़ गए। विश्वास नगर विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार (80,016) को आप के उम्मीदवार (39102) से दो गुना अधिक मत मिले। लक्ष्मीनगर और विश्वास नगर से भाजपा के विधायक हैं।कृष्णानगर विधानसभा में आप उम्मीदवार को 54,215 मत मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 83,176 मत मिले। गांधी नगर में आप उम्मीदवार को 43, 843 और भाजपा को 55, 381 मत मिले।

शाहदरा विधानसभा क्षेत्र में आप उम्मीदवार को 49,341 और भाजपा उम्मीदवार को 68951 मत मिले। पूर्वी दिल्ल्ली विधानसभा में कुल दस विधानसभाओं में से सात में आप के विधायक हैं। लक्ष्मी नगर-29,960, विश्वास नगर में 40914 और गांधी नगर में 11538 वोटों के अंतर से जीत हर्ष मल्होत्रा को हासिल हुई। यहां से अभय वर्मा, ओ पी शर्मा और अनिल वाजपेयी भाजपा विधायक हैं।-कमोबेश यही हालत नई दिल्ली में बांसुरी स्वराज की जीत में भी रही। यहां भाजपा ने 7 विधानसभा में जबकि आप के सोमनाथ भारती ने 3 विधानसभा में बढ़त कायम की थी। यहां भी हार जीत का अंतर बेहद कम रहा।-पश्चिमी दिल्ली में सांसद कमलजीत सहरावत ने दूसरे स्थान पर रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने भी 8 विधानसभा में आप-कांग्रेस गठजोड़ प्रत्याशी महाबल मिश्रा को हराया। महाबल केवल 2 विधानसभा में बढ़त बना सके।

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